बुधवार, 20 अप्रैल 2016

माफ़ी

आज में दो इंसानों के बारे में लिखने जा रहा हूँ जो में उनसे कभी नहीं कह सका वो आज में अपनी इस dairy के पेज पे लिख रहा हूँ वो दो इन्सान है
लवली अग्रवाल  ( लवी )
वर्षा ठाकुर   ( VT )


लवी मेरा प्यारा सा दोस्त जिसने मुझे एक पागलपन की जिन्दगी जीना सिखाया जिसके साथ रह कर हमेशा अच्छा लगता है ऐसा लगता है जैसे कोई प्यारा सा बच्चा अपनी प्यारी सी आवाज़ में मुझे डांट रहा है बहुत अधिकार समजता है ये मुझपे अपना हमेशा बोलता है तू केवल मेरा BSTII है तेरी जगह कोई नहीं ले सकता मेरी लाइफ में
हाँ लवी सुच है यार की तेरी जगह कोई नहीं ले सकता है क्युकी आज जो जिन्दगी में जी रहा हूँ वो तेरी ही दी हुई वो तू ही है जिसने उसदिन मुझे बचाया था यार वो तू है यार जो हर उस समय रोया जब जब में रोया तूने हमेशा कोशिस की में अपने दिल का सारा दर्द बहार निकल के फेंक दूँ पता है तुझे तू ऐसा करने में 2  बार कामयाब होता होता रह गया पागल दो बार तूने अपनी बातो से मुझे इतना कमजोर कर दिया था में उन दो पलों में जी भर के रोना चाहता था लेकिन मैंने अपने से वादा किया है पागल की में अपने दर्द में इतना खोना चाहता हूँ की उसके बाद दर्द ये कहना छोड़ दे की उसे मेरा और साथ चाइये वो एक दिन कहेगा लवी की आशीष अब में और नहीं आ सकता तेरे दिल में
हाँ मुझसे गलती हुई थि लवी मैंने वो गलती जानबूझकर नहीं की थि बाबु उस दिन मुझे गुस्सा आया था लेकिन में जनता हूँ मेरे कारन तूने अपनी कजिन को खोया था यार लेकिन में अपनी पूरी जिन्दगी में तुजसे उस गलती की माफ़ी मांग नहीं पाउँगा पता है तुजे आज भी वो दर्द और मेरी गलती मुझे तुजसे बाते नहीं करने देती है बहुत मन करता है फिर एक बार तुजसे आके कहूँ कुतिया कामिनी चल अब नोटंकी मत कर जान ह हम दोनों एक दुसरे की लेकिन पता है जब भी तुझे कॉल लगाता हूँ वो पल मेरे आँखों के सामने आ जाता है तेरे वो आंसू मुझे बार बार यहीं कहते है की मैंने तुजसे बहुत कुछ छिना है यार मैंने तेरे विश्वास को तोडा है यार शयद में फिर कभी तुझसे नजर मिला पाउँगा तू जब भी मुझसे ये कहता है ण की में बानसूर आउंगी मन करता है की हाँ कह दूँ की आजा लेकिन अपनी गलती को याद करके हमेशा येही कहता हूँ की तू जब तक यहाँ रहेगा मै यहाँ नहीं रहूगा जनता हूँ की आज और आज के बाद कबी भी हमारे बिच वो पागलपन कभी लोट के नहीं आएगा लेकिन मुझे माफ़ कर देना यार में तुजसे कभी भी अपनी उस गलती की माफ़ी नहीं मांगूंगा क्यूकी लवी मैंने भी तुजे तेरी उस हर गलती माफ़ किया बिना बोले जिन बातों में मुझे अंदर तक तोडा था मुझे ख़ुशी है की आज हम इतने दूर होते हुए भी इतने पास है यार




वर्षा ठाकुर
   वर्ष 2008 ME मैंने अपना पहला फेसबुक a/c  बनाया था मेरी उस id पे एक क्यूट सी लड़की मेरी फ्रंड थि उसके dp में एक लड़की थी जिसके बाल उसके फेस को डंक के रखे हुए थे मुझे उसकी वो पिक अच्छी लगी मैंने उससे ऐसे ही बाते करना आरम्भ कर दिया एक दिन ऐसे ही मैंने पहली बार किसी लड़की से उसका न. माँगा तो इसने मुझे मना नहीं किया बस इतना ही कहा की तुम अपना न. देदो में कॉल कर लुंगी मैंने अपना नॉ इसको दे दिया एक 10 वी क्लास की स्टूडेंट ने पता नहीं क्या सोच कर एक अनजान नॉ पे कॉल कर दिया मैंने वो नॉ रिसीव किया तो उस साइड दे एक प्यारी आवाज़ आई उसका पहला वर्ड " में वर्षा हूँ फेसबुक वाली "
( इससे आगे की पुर कहने के लिए पूरी एक ब्लॉग लिखूंगा )

वर्षा एक ऐसी लड़की जिसने मेरे दी मेरे जीजू से हमेशा बाते की है मेरी दी को बहुत पसंद थि ये लड़की मेरे जीजू ने तो बोल भी दिया था की अगर आशीष चायेगा तो हम इन दोनो की शादी भी करवा देंगे
वर्षा मैंने शयद कभी तुजसे प्यार नहीं किया था तुजे में केवल हमेशा अपना दोस्त मानता था ऐसा में सोचता रहा मुझे पता ही नहीं चला की भगवान ने मेरी किस्मत में तेरा प्यार भी लिखा था लेकिन यार धीरे धीरे मुझे अपने आप से डर लगने लगा था में तुजे अपनी जिन्दगी में एक दोस्त की तरह तो रख सकता था लेकिन जब 2 फरवरी को तूने मुझे अपने दिल की बात बताई थि समझ तो में उसी दिन गया था फिर जब तूने 6 फरवरी को फिर उस दिन रात को मुझसे अपने दिल की बात शेयर की उस दिन मै अपने जीजू के साथ सो रहा था और जीजू हमारी बात सुन रहे थे लेकिन उसके बाद पता नहीं मुझे क्या होने लगा था में अपने डर से डरने लगा था मै  चाहता तो था मेरी जिन्दगी में तेरा प्यार लेकिन तुझे अपने दर्द और डर में सामिल नहीं कर सकता था उसके बाद मैंने तेरा फ़ोन उठाना बंद कर दिया था फिर मैंने ये सोचा की तुझे ना बोलके तेरे प्यार का अपमान नहीं करना चाहता था
मुझे माफ़ कर देना मैंने जो आगे किया उसके कारण आज तू बहुत खुश है अपनी नयी जिन्दगी में
उसके बाद मैंने अपनी दी से ये बोल दिया था की मुझे तुजसे कोई प्यार नहीं है और दी को बोल दिया की आजसे आप वर्षा से बाते नहीं करोगी उसके बाद अपनी सबसे प्यारी दोस्त को मेरी हेल्प के लिया बोला उसने मना किया तो उसको अपनी कसम देकर मनाया वर्षा पता है वो कितना रोति थी मेरे कहने पे उसने ऐसा बेहव करना आरम्भ कर दिया की हमारे बिच कुछ है तुजे पता है तुजे हर साल एक गिफ्ट बेझता था मैं पता है उसका क्लेक्स्न मैंने पुरे बाज़ार में घूम के करता तुजे उस दिन भी मैंने एक गिफ्ट बेजा था लेकिन वो दुनिया का सबसे घटिया गिफ्ट था जब मैंने लवी को बताया की मैंने ऐसा कोई गिफ्ट तुजे बेझा है तो वो कितना लड़ी मुझसे उसने तो उस दिन मेरी कसम भी तोड़ने का मन बना लिया था लेकिन वो हमारी दोस्ती की कसम नहीं तोड़ सका उसके बाद वोही हुआ यार जो मैंने सोचा था तूने वो गिफ्ट देख कर सब सुच मान लिया और लवी को वो SMS किया जिसमे तूने अपनी स्टाइल लगायी और सब कुछ लवी को सुनाया और लास्ट में लिखा की ये SMS लवी आप मत पड़ना आशीष को बेझना वर्षा तू हमेशा ये सोच कर खुश है की तूने एक बुरे इन्सान को अपनी लाइफ से भाहर कर दिया और में ये सोच के खुश हूँ की तू अपनी लाइफ में खुश है अपने नए प्यार के साथ

तेरी ख़ुशी के लिए ये जरुरी था लेकिन अगर तूने अपने प्यार पे विस्वास किया होता तो आज दुनिया में हम बहुत खुश होते यार लेकिन अब भी खुश है तू अपने जिन्दगी में में तेरी ख़ुशी में

I MISS U
वर्षा

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